।। विश्वकर्माष्टकम् ।।
निरंजनो निराकार: निर्विकल्पो मनोहर:
निरामयो निजानंद: निर्विघ्नाय नमो नमः ।।
अनादिरप्रमेयश्च अरूपश्च जयाजय:
लोकरूपो जगन्नाथ: विश्वकर्मन्नमो नमः ।।
नमो विश्वविहाराय नमो विश्वविहारिणे
नमो विश्वविधाताय नमस्ते विश्वकर्मणे ।।
नमस्ते विश्वरुपाय विश्वभुताय ते नम:
नमो विश्वात्मभूतात्मन् विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ।।
विश्वायुर्विश्वकर्मा च विश्वमूर्त्ति: परात्पर:
विश्वनाथ: पिता चैव विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ।।
विश्वमंगलमांगल्ल्य: विश्वविद्याविनोदित:
विश्वसंचारशाली च विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ।।
विश्वैकविधवृक्षश्च विश्वशाखा महाविध:
शाखोपशाखाश्च तथा तद्दृक्षो विश्वकर्मण: ।।
तद्दृक्ष: फलसंपूर्ण: अक्षोभ्यश्च परात्पर:
अनुपमानो ब्रम्हांड: बीजमोंकारमेव च ।।
इति विश्वकर्माष्टकं संपूर्णम् ।।
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