रविवार, 1 अगस्त 2021

कामिका एकादशी व्रत 2021

नमस्कार। वैदिक एस्ट्रो केयर में आपका हार्दिक अभिनंदन है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है।
जो कि इस वर्ष 4 अगस्त 2021 को है। कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति को उसके पूर्व में किये गए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धाभाव से कामिका एकादशी के दिन व्रत रखता है, भगवान विष्णु जी उसके सभी कष्टों को दूर करते हैं। इस दिन पूजा करने मात्र से व्यक्ति अधर्म का मार्ग छोड़कर धर्म के पथ पर चलने लगता है और समाज कल्याण के कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर देता है। कामिका एकादशी की पूरी जानकारी, व्रत विधि, व्रत का फल, व्रत कथा के लिए आप बनें रहें वीडियो के अंत तक हमारे साथ एवं वैदिक एस्ट्रो केयर चैनल को सब्सक्राइब कर नए वीडियो के नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट अवश्य करें।
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं इस दिन व्रत करने के महत्व को महाराज युधिष्ठिर से कहा है।सावन के महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी देवता, गन्धर्वों और नागों की पूजा हो जाती है। इस पूजा को भगवान विष्णु की सबसे बड़ी पूजा भी माना जाता है। इसलिए श्रावण माह में हर व्यक्ति को कामिका एकादशी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के आराध्य भगवान शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु हैं। ऐसे में सावन के महीने की एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा एक विशेष शुभअवसर की प्राप्ति है। इस व्रत को धारण करने से, इस दिन नारायण पूजन करने से, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि ये व्रत लोक और परलोक दोनों में श्रेष्ठ फल देने वाला है।
कामिका एकादशी व्रत दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। कामिका एकादशी के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु जी का ध्यान करना चाहिए। फिर व्रत का संकल्प लें और पूजन प्रारंभ करें। विष्णु जी को पूजा में फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें। इसके बाद रोली-तिलाक्षत से उनका तिलक करें और उन्हें फूल चढ़ाएं। एकादशी व्रत निराहार रहकर ही करें। इसके अतिरिक्त, इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना एवं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जप करना उत्तम माना जाता है। कामिका एकादशी के दिन तुलसी पत्ते एवं तुलसी माला भगवान को अर्पित करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है।

इस वर्ष 2021 में एकादशी तिथि 03 अगस्त को मंगलवार के दोपहर 12 बजकर 59 मिनट पर प्रारम्भ हो जाएगी और 04 अगस्त 2021 को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर पूर्ण होगी। अतः इस वर्ष 2021 में कामिका एकादशी का व्रत 04 अगस्त को बुधवार के दिन रखा जाएगा। एवं व्रत का पारण मुहूर्त 5 अगस्त को प्रातः काल 5 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट तक है।
व्रत के दिन कथा श्रवण का विशेष महत्व है। अतः आइये हम सब भी मिलकर इस दिव्य कथा में अवगाहन करें।
कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर भगवान कृष्ण जी से कहने लगे कि भगवन, आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास्य माहात्म्य मैंने आपके श्रीमुख से अच्छी प्रकार से सुना। अब कृपा करके श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, और उसका क्या महत्व है यह भी हमें विस्तार से बताइए।
श्रीकृष्ण भगवान कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही मैं तुमसे कहता हूँ। नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा था कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम है? क्या विधि है और उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा करके कहिए।
नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोकों के हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।
जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फँसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाश का कोई उपाय नहीं है।
हे नारद! स्वयं भगवान ने यही कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से।
तुलसी दल पूजन का फल चार भार चाँदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएँ नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो गौ घी या तिल के तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।
वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है नमस्कार

Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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