शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

गुप्त नवरात्रि

लियुग के लिए एक सूत्र प्रचलित है, कलौ चण्डी विनायकौ। इस सूत्र के अनुसार कलियुग में सर्वेष्ट साधन हेतु चण्डी, अर्थात दुर्गा, एवं विनायक, अर्थात गणेश जी की प्रधानता सिद्ध है। इन दोनों श्रेष्ठ साधनों में भी प्रथम, शक्ति की साधना का ही उल्लेख है। शायद इसलिए भी की क्षुधा तृषार्ता जननी स्मरन्ति।अर्थात भूख लगने पर बालक सर्वप्रथम मां का ही स्मरण करता है। क्षुधा चाहे भोजन, धन-सम्पदा ,भौतिक सुख साधनों, मान-सम्मान, सन्तान प्राप्ति,  आदि किसी भी प्रकार की हो। वस्तुतः जगज्जननी माता दुर्गा धर्म अर्थ काम मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थों को प्रदान करने वाली हैं। 
एकैव शक्ति: परमेश्वरस्य भिन्नाश्चतुर्धा व्यवहार काले।
पुरुषेषु विष्णुर्भोगे भवानी समरे च दुर्गा प्रलये च काली।। अर्थात
अखिल ब्रह्माण्ड नायिका मातेश्वरी, पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की वह दिव्य शक्ति हैं जिन्हें समय समय पर अनेक रूपों में आवश्यकता अनुसार प्रकट कर परब्रम्ह परमात्मा सम्पूर्ण विश्व का कल्याण करते हैं। अतः इनकी आराधना जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति पूर्वक जिस भी कामना से करते हैैं, अल्प प्रयास से ही उनकी वह कामना, यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्चितम्, शास्त्र वाक्य के अनुसार अवश्य पूरी होती है। नवरात्र पर्व शक्ति उपासना का सर्वश्रेष्ठ शुभ समय होता है। 
वर्ष में चार बार नवरात्रि आती हैं। जिनमें से दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्रि होती हैं। चारों ही नवरात्रि में शक्ति उपासना का अपना विशिष्ट महत्व होता है। प्रकट नवरात्रि में जहां माता के शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चन्द्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी सिद्धिदात्री जैसे सौम्य स्वरुप की सात्विक पूजा आराधना की जाती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं, काली, तारा , त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी,धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। 
आज हम गुप्त नवरात्रि पर्व के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे, यदि आप इस जानकारी को वीडियो के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे यूट्यूब चैनल वैदिक ऐस्ट्रो केयर में आपका स्वागत है। साथ ही वैदिक ज्योतिष शास्त्र एवं सनातन धर्म की अनेकों जानकारियां प्राप्त करने के लिए वैदिक ऐस्ट्रो केयर यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर नए वीडियो के नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबा कर ऑल सेलेक्ट करना ना भूले। 
माघ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मां भगवती पराम्बा पराशक्ति की उपासना का सर्वश्रेष्ठ पर्व गुप्त नवरात्र प्रारम्भ होंगे। गुप्त नवरात्रि इस वर्ष आंग्लमत के अनुसार, 2 फरवरी 2022, बुधवार से प्रारंभ हो रहे हैं, अतः पूजन एवं अनुष्ठान हेतु घटस्थापना इस दिन ही की जाएगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 7 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 02 मिनट तक है।
यह गुप्त नवरात्रि पर्व किसी भी मन्त्र को सिद्ध करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है। अतः गुप्त नवरात्रि में रात्रि के समय विधि विधान पूर्वक मन्त्र के अनुसार आचरण करके यदि जप या पाठ किया जाए तो वह शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।
गुप्त नवरात्रि में शक्ति उपासना करने वाले भक्तों की कामनाएं अलग अलग हो सकती हैं, किन्तु पूजन विधि शास्त्र सम्मत ही होनी चाहिए। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि भक्त निष्काम भाव से आराधना करता है तो किसी भी प्रकार के साधनों हेतु प्रतिबंधित नहीं होता।अर्थात पूजन सामग्री हो या पाठ विधि। वह स्वेच्छा से पूजन एवं पाठ विधि को अपनी शक्ति सामर्थ्य अनुसार प्रयोग कर सकता है। किंतु यदि साधक किसी भी प्रकार की मनोकामना पूर्ति हेतु शक्ति उपासना स्वयं करता है अथवा ब्राह्मणों के द्वारा करवाता है, तो पूजन विधि एवं पाठ विधि नियम पूर्वक शास्त्र सम्मत होनी अतिआवश्यक होती है। 
श्रीमद्भगवद्गीता के सोलहवें अध्याय के तेइसवें श्लोक में भगवान स्वयं यह बात स्पष्ट करते हैं कि 
यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः। 
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्।। 
अर्थात जो मनुष्य शास्त्रविधिको छोड़कर अपनी इच्छासे मनमाना कार्य करता है, वह किए गए कार्य में सिद्धि प्राप्त नहीं करता। और न ही उसे इस लोक में सुख और परलोक में परमगति ही प्राप्त होती है।
अतः उपासक को चाहिए कि ,
तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि।।
अर्थात किसी भी कामना से किए जाने वाले पूजा पाठ साधना उपासना जप तप में पूर्ण रूप से शास्त्र विधि को ही प्रमाण मानकर कर्म करे। तभी अवश्य ही सफलता प्राप्त होती है। 
यहां ध्यान रखने योग्य यह है कि कामना अनुसार, आसन, दिशा, जप माला, एवं हवनीय द्रव्यों का भी चयन अवश्य ही करना चाहिए। सामान्य रूप से लाल रंग का ऊनी आसन, पूर्व या उत्तर दिशा, रुद्राक्ष एवं कमलगट्टे की माला, एवं पायस हवन श्रेष्ठ माना जाता है।
नवरात्रि पर्व में वैदिक विधि पूर्वक, श्रेष्ठ कर्मकाण्डी आचार्यों द्वारा शक्ति पूजन् करवाने हेतु आप दिए गए नम्बरों के माध्यम से हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है। नमस्कार

Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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