नमस्कार, वैदिक ऐस्ट्रो केयर में आपका हार्दिक अभिनंदन है। श्रीमद्भागवत महापुराण में एक बहुत ही रोचक और भावपूर्ण प्रसंग है। देवासुर संग्राम में जब देवराज इंद्र और वृत्तासुर के मध्य युद्ध चल रहा था और देवराज इंद्र ने वृत्तासुर के ऊपर प्रहार करने के लिए वज्र उठाया, उसी क्षण वृत्तासुर हाथ जोड़कर घुटनों के बल वहीं युद्ध भूमि में बैठ गया, और चार दिव्य श्लोकों के माध्यम से भगवान की स्तुति करने लगा। जिसमें प्रथम श्लोक का भाव आध्यात्म पथिक समस्त मानवों के लिए चिन्तनीय है। वज्र में भगवान विष्णु को प्रत्यक्ष अनुभव करते हुए वृत्तासुर ने प्रार्थना की, प्रभो ! आप मुझ पर ऐसी कृपा कीजिए कि अनन्य भाव से जो भक्त आपके चरण कमलों का आश्रय ग्रहण किए हुए हैं, उन भक्तों की सेवा करने का, उनकी भक्ति करने का मुझे भी अवसर प्राप्त हो। भगवन ! मेरा मन आपके मंगलमय गुणों का स्मरण करता रहे, मेरी वाणी उन्ही का गान करे, और मेरा यह शरीर सदा आपके भक्तों की सेवा में संलग्न रहे।
विचार कीजिए, कितना उत्कृष्ट भाव है दैत्यराज वृत्तासुर का। किन्तु यह भाव एक दैत्य के मन में जागृत हुआ कैसे? यह विचारणीय है। वृत्तासुर के आतंक से आतंकित देवताओं द्वारा वृत्तासुर वध के लिए महर्षि दधीचि से अस्थियों की याचना की गई, जिसे लोककल्याण हेतु दधीचि ने सहर्ष स्वीकार किया। ततपश्चात महर्षि के शरीर पर लवण का लेप करके कामधेनु गाय को चटाकर महर्षि दधीचि की अस्थियों से वज्र का निर्माण हुआ। और यही वज्र जब वृत्तासुर के सामने देवराज इंद्र द्वारा धारण किया गया, तो महर्षि दधीचि के तप प्रभाव से एक दैत्य का भी हृदय परिवर्तन हो गया, और उसने भगवान से यही विनती की, की प्रभो, हम दैत्य कुल में उतपन्न तामसिक विचारों वाले निकृष्ट जीव हैं। आपको प्राप्त करने का कोई भी साधन जीवन में अपना नहीं सकते। किन्तु यदि किसी भी प्रकार जो भक्त, जो दास, निरन्तर आपकी सेवा पूजा करते रहते हैं यदि उन भक्तों की सेवा का अवसर ही हमें प्राप्त हो जाए तो भी हमारा कल्याण होना निश्चित है। भागवत के ही गजेंद्र मोक्ष प्रसंग में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि भगवान श्री हरि ने पहले ग्राह को मुक्त किया, फिर गज को। क्योंकि भगवान के भक्त गज के पैर ग्राह ने पकड़े हुए थे। भाव यही है कि यदि भगवद्भक्तों के चरणों का आश्रय ग्रहण कर लिया तो समझो भुक्ति मुक्ति निश्चित है। ऐसे ही एक परम भक्त हैं श्री हनुमानजी महाराज। जिनके बारे में गोस्वामी तुलसीदास जी राम चरित मानस में लिखते हैं, हनूमान सम नहिं बड़भागी। नहिं कोउ राम चरन अनुरागी।। अर्थात हनुमानजी जैसा कोई भी भाग्यवान नहीं है जो निरन्तर भगवान श्री राम जी के चरणों की सेवा में लगे रहते हैं। ऐसे दिव्य परम् भक्त श्री हनुमानजी का प्राकट्य उत्सव हनुमान जयंती इस वर्ष 2021 में 27 अप्रेल को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती विषयक समस्त महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आप वीडियो को पूरा अवश्य देखें, साथ ही वैदिक ऐस्ट्रो केयर चैनल को सब्सक्राइब कर नए नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट अवश्य करें।
हनुमान जी को भगवान श्री राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है उन्हें ‘संकटमोचक’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है संकट को नष्ट करने वाले। भक्तराज हनुमान जी की पूजा-अर्चना से भक्तों के समस्त कष्टों का शीघ्र ही नाश हो जाता है। यही कारण है कि भक्तराज हनुमान जी को समस्त देवताओं के बीच विशिष्ट स्थान प्राप्त है। हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
अपनी कामना के अनुसार आप इस दिन जो भी प्रयोग शुद्धता , पवित्रता के साथ विधि विधान सहित करेंगे तो आपकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।
हनुमान जयंती के दिन किसी भी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए पूजन विधि को समझें। सर्वप्रथम हनुमान जयंती की पूर्व रात्रि को भूमि पर ही सोएं।
सोते समय प्रभु श्री राम और माता सीता के साथ हनुमान जी का स्मरण अवश्य करें।
प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठें और प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी का स्मरण करें। शौच मज्जन स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें और अपने घर के पूजा स्थल को भी स्वच्छ करें।
इसके बाद हाथ में जौ तिल कुशा चावल रोली दक्षिणा सहित गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
हनुमान जी की प्रतिमा को पूजन स्थल पर पूर्व दिशा में स्थापित हनुमान की विधिवत षोडशोपचार से पूजा अर्चना कर आरती करें। साथ ही बूंदी और लड्डू का भोग लगाकर फल पान और दक्षिणा अवश्य चढाएं। हनुमानजी को सिंदूर परमप्रिय है। एक बार भगवान राम जी की लंबी उम्र की कामना करते हुए हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था। कहा जाता है तब से ही भगवान हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। अतः इस दिन किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को सिंदूर का चोला भी अवश्य चढ़ाना चाहिए। यहां आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जिन्हें आप हनुमान जयंती के पुण्य अवसर पर प्रयोग कर लाभ अर्जित कर सकते हैं।
यदि आपके जीवन में लगातार धन संबंधी परेशानियां बनी हुई है या कर्ज और लोन का बोझ असीमित बढ़ गया है तो हनुमान जयंती के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद पीले या फिर लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इस दिन हनुमान जी के मंदिर जाएं और हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर बजरंगबली को अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। साथ ही एक साबुत पान का पत्ता सुपारी लौंग और इलाइची के साथ अर्पित करें। यहाँ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, पत्ता कहीं से भी कटा फटा या खराब नहीं होना चाहिए। बेसन या बूंदी के लड्डू से हनुमान जी को भोग लगाएं। इस उपाय को करने से धन संबंधित आपकी सभी परेशानियां अवश्य ही दूर हो जाएँगी।
उत्तम स्वास्थ्य, आयु आरोग्यता की प्राप्ति के लिए इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा के सन्मुख बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का सच्चे मन से पाठ करें। इस दिन की पूजा में हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। इस प्रयोग से आपको उत्तम स्वास्थ्य लाभ के साथ ही शत्रुओं से भी सुरक्षा प्राप्त होगी।
पल भर में अपने भक्तों के सभी कष्ट और परेशानियों को दूर करने वाले बजरंगबली के प्राकट्य उत्सव हनुमान जयंती के दिन भगवान श्रीराम एवं भक्तराज हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन अधिक से अधिक सुंदर कांड का पाठ अवश्य करें। इस कोरोना महामारी के समय में सर्वकल्याण की भावना से सभी लोग भगवान हनुमानजी से समस्त प्राणियों की रक्षा हेतु प्रार्थना अवश्य करें। क्योंकि माता सीता जी से हनुमान जी को अमर होने का वरदान प्राप्त है। और इसके साथ ही बजरंगबली भगवान भोलेनाथ के अंशावतार माने जाते हैं। ऐसे में यह पूर्ण विस्वास रखें कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन नियम से हनुमान जी की पूजा अर्चना कर व्रत करता है उसके जीवन में कभी कोई कष्ट और संकट नहीं आता। केवल इतना ही नहीं हनुमानजी जिन भक्तों से प्रसन्न होते हैं उनके जीवन में शनि जैसे ग्रह भी अशुभ प्रभाव नहीं डालते हैं। साथ ही जिन व्यक्तियों को अपने जीवन में भूत प्रेत, नकारात्मक ऊर्जा इत्यादि का भय हो उन्हें भी हनुमान जी की पूजा और विशेष तौर पर हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए।
वैदिक ऐस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है, नमस्कार
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