नमस्कार, वैदिक ऐस्ट्रो केअर में आपका हार्दिक अभिनंदन है। भौतिक संसाधनों के सुख की कामना प्रायः सभी को होती है। उत्तम आहार, सुखमय आवास, आवागमन हेतु वाहन, आदि अनेकों सुविधाओं के लिए कभी कभी व्यक्ति को लोन, अर्थात ऋण भी लेना पड़ता है। आजकल यदि देखा जाए तो इसमें बुराई भी नहीं है, क्योंकि ऋण द्वारा ही अनेकों कार्य सफलता से पूर्ण भी होते हैं। किंतु कभी कभी लोन किसी ऐसे मुहूर्त में लिया जाता है की लोन में वृद्धि ही होती जाती है। और लोन लेने वाला व्यक्ति सदैव मानसिक तनाव से ही घिरा रहता है। जिससे सामान्य जीवन में भी अनेकों परेशानियां उपस्थित हो जाती हैं।
अतः जब भी लोन लेने आवश्यकता प्रतीत हो तो ज्योतिषीय मार्गदर्शन अवश्य ले लेना चाहिए, ताकि हमारे आनेवाले जीवन में कोई परेशानी न हो और हमारा पारिवारिक जीवन सुखमय रहे |आज आधुनिक सुख-सुविधाओं के आकर्षण के चलते सभी लोग इन्हें प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की कोशिशें कर रहे हैं। आय सामान्य रहने पर व्यक्ति ऋण लेकर भौतिक सुख सुविधाओं को अथवा अपनी आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ती करता है , परंतु कई लोग इस लोन को चुका नहीं पाते और अधिक उलझ जाते हैं। ऋण एक ऐसा दलदल है, जिसमें एक बार फंसने पर व्यक्ति उसमें धंसता ही चला जाता है| यदि ऐसी समस्या में आप फंस ही गए हैं अथवा प्रयासरत हैं तो कृपया निम्न तथ्यों और जानकारियों को दृष्टिगत रखते हुए कार्य करें तो आपकी इससे सम्बंधित समस्याएं कम हो सकती हैं। आप सम्पूर्ण जानकारी के लिए वीडियो को अंत तक ध्यान पूर्वक अवश्य देखें, एवं आपके अपने इस वैदिक ऐस्ट्रो केयर चैनल को सब्सक्राइब कर नए वीडियो के नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट अवश्य करें।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में षष्ठ, अष्टम, द्वादश स्थान एवं मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। जन्म कुंडली में मंगल ग्रह की कमजोर स्थिति या पापग्रह से संबंधित होने पर, अष्टम, द्वादश, षष्ठ स्थान पर नीच या अस्त स्थिति में होने पर व्यक्ति सदैव ऋणी बना रहता है। ऐसे में यदि उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़े तो कर्ज तो होता है पर वह बड़ी कठिनाई से उतरता है। शास्त्रों में मंगलवार और बुधवार को ऋण के लेन-देन के लिए निषेध किया गया है। अतः मंगलवार को ऋण लेने वाला व्यक्ति जीवन पर्यंत ऋण नहीं चुका पाता, तथा बहुत बार यह भी देखने को मिला है कि उस व्यक्ति की संतान भी इस कारण से परेशानियां उठाती है। अतः ऋण लेने और देने दोनों में ही अति सतर्कता बरतनी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चर लग्न अर्थात मेष, कर्क, तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है। लेकिन, चर लग्न में कर्जा देना नहीं चाहिए। ध्यान रखें कि चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा। हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में ऋण उतारने से ऋण से शीघ्र मुक्ति मिलती है। ऋण मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए ऋण की प्रथम किश्त मंगलवार से देना प्रारम्भ करें। इससे ऋण शीघ्र उतर जाता है। ऋण लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव पहले बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु ऋण देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना गया है। यदि अधिक समय तक ऋण ना चुका पा रहे हों तो मंगलवार को लाल मसूर की दाल का दान करें। वास्तु के अनुसार अपने निवास स्थान पर ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें। साथ ही वास्तुदोष निवारण के लिए गणेश जी की प्रतिमा मुख्य द्वार पर लगाएं। हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ाएं। साथ ही माथे पर सिंदूर का तिलक भी लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।शुक्लपक्ष के बुधवार से ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नित्य पाठ करें। एवं बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से, ऋण से शीघ्र मुक्ति मिलती है। सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र के नित्य ग्यारह पाठ करें।
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