गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

गोलू देवता न्याय के देवता।

● गोलू देवता - न्याय के देवता
● कुमाऊँ क्षेत्र में अपने ईस्ट देवता के रूप में 
● अल्मोड़ा में भगवान गोलू का प्रख्यात चित्तई गोलू मंदिर 
●मनोकामना पूरी हो जाने पर भेंट स्वरूप घंटी चढ़ाते हैं
●गोलू देवता को गौर भैरव (भगवान शिव) का अवतार माना जाता है
●उत्तराखंड के चंपावत क्षेत्र को गोलू देवता का जन्म स्थान माना जाता है।
●कत्यूरी राजा झालुराई और कालिंका की एकलौती  संतान थे।

राजा झालुराई की सात रानियाँ थी, लेकिन किसी से भी उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हुई। इस बात को लेकर काफी चिंतित रहते थे, तब उन्होंने अपने कुल देवता गौर भैरव की आराधना की, 
प्रसन्न होकर कुल देवता गौर भैरव ने उन्हें आशीर्वाद दिया की वे स्वयं राजा के घर पुत्र रूप में जन्म लेंगे, अतः राजा को, पंचनाम देवताओं की बहन कालिंका से आठवा विवाह करना होगा।
कुछ समय व्यतीत होने पर एक दिन महाराज झालुराई को निर्जन पहाड़ी वन में एक सुंदर प्राकृतिक जलाशय दिखाई दिया। दोपहर के समय प्यासे होने से राजा उस जल कुंड के पास चले गए।
जलाशय के निकट पहुँचने पर उन्होंने देखा की वहाँ एक सुंदर स्त्री ध्यान में बैठी थीं। राजा की आहट से उस स्त्री का ध्यान  भंग हो गया। महाराज झालुराई को पानी की ओर जाते देख उस देवी ने रोक लिया और कहा की यह जलकुंड मेरा है, और बिना मेरी आज्ञा आप यहाँ से पानी नहीं ले सकते।   
यह सुनकर राजा बोले -  “पानी नहीं ले सकता” में इस राज्य का राजा झालुराई हूँ।  देवी आप कौन हैं? और इस घने वन में क्या कर रही हैं? कृपया अपना परिचय दीजिए। राजा के द्वारा विनम्रता पूर्वक परिचय पूछने पर वह स्त्री बोलीं, मैं पंचनाम देवों की बहन कालिंका हूँ। यह कहकर उन्होंने राजा से उनके राजा होने का प्रमाण मांग लिया। 
राजा जिसकी तलाश में निकले थे, वो उनके सामने थीं। राजा बोले! देवी बताएं आपको मेरे राजा होने का क्या प्रमाण चाहिए। तभी वहीं पास में दो भैंसे आपस में लड़ रहे थे उन्हें देख स्त्री बोली यदि आप इन्हे अलग कर दें तो में मान लुंगी की आप ही राजा झालुराई हैं। क्योंकि हमने तो सुना है कि कत्यूरी राजा झालुराई बड़े बलशाली हैं।
महाराज झालुराई ने कालिंका की बात स्वीकार कर ली और वे दो लड़ते भेंसो को अलग करने की कोशिश करने लगे। किन्तु वे अनेकों बार प्रयास करने पर भी असफल रहे। 
उनका परिश्रम देख देवी कालिंका ने स्वयं उन दो लड़ते भैंसों को अलग कर उनकी लड़ाई समाप्त करवा दी। देवी कलिंका की विलक्षण प्रतिभा एवं अपार सुंदरता से राजा काफी प्रभावित हुवे अतः भगवान गौर भैरव के कहे अनुसार देवी कालिंका से विवाह हेतु निवेदन किया।
देवी कालिंका की स्वीकृति के उपरांत राजा झालुराई अपना विवाह प्रस्ताव लेकर जब पंचनाम देवों के पास पहुँचे तो पंचनाम देवों ने राजा झालुराई की प्रसिद्धि और महानता के कारण बिना देर किये अपनी बहन कालिंका का हाथ राजा झालुराई को सौंप दिया और इस प्रकार दोनों का विवाह हो गया। 
अब देवी कालिंका राजा झालुराई की आठवीं रानी थीं और दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीति करने लगे। 
अन्य सातों रानियों को कालिंका का राजा के निकट होना पसंद नहीं आ रहा था, अतः वे सभी रानीयां कालिंका से ईर्ष्या करने लगीं। कुछ समय उपरांत रानी कालिंका गर्भवती हुईं। यह जानकर राजा झालुराई अत्यंत प्रसन्न हुए।
किन्तु रानी कालिंका के गर्भवती होने की बात जब सातों रानियों तक पहुँची, तो ईर्ष्या से भरी रानिया व्याकुल हो उठीं। वे सोचने लगीं की यदि रानी कालिंका ने संतान को जन्म दे दिया तो राजा उनसे ही प्यार करने लगेंगे और हमारी उपेक्षा होने लगेगी। 
इसलिए सातों रानियों ने मिलकर योजना बनाई की वे किसी भी तरह से रानी के गर्भ में पल रहे बच्चे का अंत कर देंगी। योजना अनुसार सातों रानियां राजा के समीप गईं और कहने लगीं की बड़ी कठिनाइयों के बाद हमें संतान सुख की प्राप्ति होने जा रही है, अतः हम नहीं चाहते की बाहर से आकर कोई दाई बच्चे को जने और उससे कोई भूल चूक हो जाए। 
इसलिए हम सातों बहने मिल कर रानी कालिंका का ध्यान रखेंगी और बच्चे को जनने में रानी की सहायता करेंगी। राजा बच्चे के जन्म से प्रसन्न थे अतः उन्होंने बिना अधिक सोचे विचारे सातों रानियों की बात पर हामी भर दी। 

भगवान गोलू देवता का जन्म। 

सातों रानियां मिलकर देवी कालिंका के कक्ष में पहुँची और बोलीं बहन तुम्हारे प्रसूति का समय निकट आ गया है, क्योंकि तुम पहली बार माँ बनने जा रहीं हो तो कहीं प्रसूति के समय तुम मूर्छित ना हो जाओ अतः हम तुम्हारी आँखों में ये पट्टी बांध देते हैं, और इतना कहते ही उन्होंने रानी के आँखों में पट्टी बांध दी।
बच्चे को कोख में ही मारने के कई असफल प्रयासों के बाद भी जब एक सुन्दर से बालक (गोल्ज्यू) ने जन्म ले लिया, तो पहले से तैयार रानियों ने बच्चे को नीचे गोशाला में फेंक दिया ताकि जानवरों के पैरों तले दबकर बच्चे का अंत हो जाए, और एक खून से लतपथ सिलबट्टा रानी कालिंगा की गोद में रख दिया और कहा की आपने बच्चा नहीं इस सिलबट्टे को जन्म दिया है।
नीचे गोशाला में पड़ा बच्चा जानवरों के बीच काफी समय तक रहा लेकिन बच्चे को एक खरोंच तक नहीं आई, यह देख सातों रानियों ने बच्चे को बिच्छू घास में डाल दिया लेकिन वहां भी बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई।
हर प्रकार से असफल होने के बाद अंत में रानियों ने लौहार से एक मजबूत संदूक तैयार करवाया जिसमे हवा तक ना जा सके और बच्चे को उस संदूक में डाल दिया और ताला लगाकर संदूक को काली नदी में बहा दिया।

संदूक 7 दिन और 7 रातों तक काली नदी में बहता रहा और संदूक में लेटा वह बच्चा बिना हवा, पानी, प्रकाश के 7 दिन बाद गोरीघाट नामक स्थान तक पहुँच गया। गोरीघाट में एक मछुवारा मछली पकड़ रहा था, तभी उसके जाल में वह सन्दूक फंस गया।
बिना देर करे मछुवारे ने संदूक खोला तो उसमें एक सुन्दर से बालक को पाया। मछुवारा उसने अपनी धर्म पत्नी को बुलाया । मछुवारा निसंतान था, अतः बच्चे को देखकर दोनों के मन में बच्चे को पालने की इच्छा जाग्रत हुई, अतः वे भगवान का प्रसाद समझकर बच्चे को अपने घर ले आए। मछुवारे कि पत्नी ने जैसे ही बच्चे को अपने सीने से लगाया तो देखा की उसके स्तनों से दूध बहने लगा है।
कुछ ही समय बाद बच्चे का नामकरण हुवा और बच्चे के गोरीघाट स्थान पर मिलने पर उसका नाम गोरिया, गोलू रख दिया गया। 
बालक के आने से मछुवारे का घर खुशियों से भर उठा, उसके सभी बिगड़े काम बनने लगे थे, यहाँ तक की पुरे गांव में अब खुशहाली का माहौल बन गया था, और गांव के सभी लोग बालक को भगवान का अवतार मानने लगे।
लोग बालक की सच्चाई से अनजान थे, अतः वे सोचते थे की एक गरीब निर्धन मछुवारे के घर चमत्कारी बालक ने जन्म लिया है। जिसका रंग दूध की तरह सफ़ेद है, और चेहरे पर किसी राज्य के राजकुमार की तरह तेज है, क्योंकि लोग यह नहीं जानते थे की बालक झालुराई के पुत्र और राज्य के राजकुमार हैं। 
समय बीतता गया और वह बालक बड़ा होने लगा था। एक दिन बालक को अपने जन्म और अपने माता-पिता का सपना आया की किस तरह से उनका जन्म हुवा था, उनके माता पिता कौन हैं, और कैसे उनकी सौतेली माओं ने उन्हें संदूक में बंद कर नदी में बहा दिया था।
जब अपने सपने के बारे में बालक ने मछुवारे को बताया तो मछुवारा बालक से दूर हो जाने के डर से कहता है, की वो ही उसके माता-पिता हैं। बालक को अब अपने गौर-भैरव अवतार और अपनी शक्तियों का अहसास होने लगा था । 
एक दिन बालक, मछुवारे से अपने लिए एक घोड़ा लाने की जिद्द करने लगा।  
मछुवारा बालक को असल घोड़ा देने में सक्षम नहीं था अतः उसने काठ के कारीगर को बुला कर बालक के लिए एक काठ का घोड़ा बनवा दिया। काठ के घोड़े को पाकर गोल्जू बहुत प्रसन्न हुए और प्रतिदिन उस घोड़े की सवारी कर उससे खेलने लगे।
एक दिन वे अपने काठ के घोड़े को लेकर राजधानी की तरफ चल पड़े। राजधानी के पास ही वह तालाब था, जहाँ पर राजा की वो सातों रानियां स्नान करने आती थीं। रानियों के समीप जाकर बालक अपने काठ के घोड़े को पानी पिलाने लगे।
सातों रानियों का ध्यान बालक की ओर गया और वे बोलीं अरे बालक तुम काठ के घोड़े को पानी पीला रहे हो, भला काठ का घोड़ा भी कहीं पानी पी सकता है क्या? और वे बालक पर हँसने लगीं।
बालक रानियों को तुरंत उत्तर देते हुए बोला की जब इस राज्य में रानी कालिंका एक सिलबट्टे को जन्म दे सकतीं हैं, तो मेरा काठ का घोड़ा भी पानी पी सकता है। बालक ने इतना बोला ही था की सातों रानियाँ उसकी बात सुनकर हैरान रह गईं। यह बात किसी तरह राजा झालुराई तक पँहुची,
अतः उन्होंने बालक को अपने पास बुलाया और पूछने लगे की बालक आप कैसे एक काठ के घोड़े को पानी पिला सकते हैं।
उस बालक ने अपनी कही हुई बात राजा के सामने एक बार फिर से दोहराई और राजा को अपने अतीत के बारे में सब कुछ बता दिया। उन्होंने बताया की किस तरह से सातों रानियों ने उनकी माँ कालिंका के साथ अत्याचार किया था, और किस तरह से उन्हें मारने का प्रयास किया गया और संदूक में बंद कर काली गंगा में बहा दिया गया। साथ ही बालक ने राजा को भगवान भैरव से प्राप्त उनके वरदान के बारे में भी बताया जो बात सिर्फ राजा जानते थे। 
बालक की पूरी बात जानकार राजा बहुत दुखी हुए, उन्होंने बालक को गले लगाकर उसे अपना पुत्र स्वीकार कर लिया और सातों रानियों को कारागृह में बंदी बनाने की आज्ञा दे दी। किन्तु गोलू देवता (गोल्ज्यू) ने अपने पिता से सातों रानियों को क्षमा कर देने के लिए कहा और उनकी बात स्वीकार करते हुए राजा ने सातों रानियों को मुक्त कर दिया।  अपने पिता के बाद गोलू देव ने ही राज्य का पदभार संभाला। उनके सही निर्णय और लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के कारण ही उन्हें न्याय का देवता कहा जाने लगा। 


Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें