शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

दीपावली पूजन

श्री गणेशाय नमः
दीपावली पूजन
कार्तिक कृष्ण अमावस्या के शुभ अवसर पर 1 नवंबर को देशभर में प्रकाशोत्सव पर्व दिवाली मनाई जा रही है। माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहे इसके लिए शास्त्रों में लक्ष्मी माता के साथ गणेशजी और कुबेरजी की पूजा का विधान बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि को प्रदोष काल में स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से अन्न-धन की प्राप्ति होती है। जो लोग तंत्र विद्या से देवी की पूजा करते हैं उन्हें आधी रात के समय निशीथ काल में पूजा करनी चाहिए। किन्तु सात्विक पूजन करने वाले सदगृहस्थ को प्रदोष काल में ही पूजन करना चाहिए।

 सात्विक पूजन करने वाले गृहस्थों के लिए दीपावली पूजा की विधि - 

सर्वप्रथम अपने घर में बने देवालय में पूजन हेतु आवश्यक सामग्री शुद्धता से एकत्रित कर लें।

दीपावली पूजन सामग्री - 1- लकड़ी की एक चौकोर चौकी, 2 - कलावा, 3 - रोली, 4 - सिंदूर, 5 - एक पानी वाला नारियल, 6 - अक्षत, 7 - लाल वस्त्र 1 मीटर , 8 - फूल, 9 - पांच सुपारी, 10 - लौंग, 11 - पान के पत्ते, 12 - घी, 13 - तांबे का कलश 5 लीटर जल वाला, 14 - कलश हेतु आम पीपल बड़ के पत्ते, 15 - कमल गट्टे की माला, 16 - पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर सभी को एक कटोरी में मिलाकर पंचामृत तैयार कर लें), 17 - अनार केले सेब आदि फल, 18 - मिठाईयां, 19 - पूजा में बैठने हेतु आसन, 20 - हल्दी, 21 - धूप, 22 - इत्र, 23 - मिट्टी के दो बड़े दीपक, 24 - मिट्टी के छोटे दीपक 21, 51, 101, अपनी इच्छानुसार
 25 - रूई, 26 - आरती की थाली, 27 - सर्वोषधि 28 - दूर्वा 29 - सप्तमृतिका 30 - पंचरत्न 31 - जनेऊ 2, 32 - एक लोटा भरकर स्वच्छ जल, 33 - आचमन पात्र, 34 - लक्ष्मी गणेश जी को स्नान करवाने एवं पूर्णपात्र हेतु दो कांसे की थाली, 35 - दूध आधा किलो, दही 100 ग्राम, देशी गाय का शुद्ध घी आधा किलो, शहद 100 ग्राम, शक्कर 100 ग्राम, 36 - हरी इलायची 5 दाने, 37 - गुलाब या कमल के फूलों की एक  और गेंदे के फूलों की दो मालाएं, 38 - गंगाजल, 39 - एक चांदी अथवा सोने के सिक्के पर बनी हुई लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा। 40 - सरसों का तेल 1 लीटर। 41 - साफ नया छोटा तौलिया, 42 - कुबेर यंत्र अथवा प्रतिमा, 43 - लक्ष्मी जी के लिए लाल साड़ी, 44 - गणेश जी के लिए सफेद सूती धोती, 

सामग्री एकत्रित हो जाने पर पूजन मुहूर्त से एक घण्टे पूर्व ही इस विधि से पूजन तैयारी कर लें।
1 - पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2 - पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख अपने बैठने के लिए लाल या पीले रंग का ऊनि आसन लगाएं।
3 - लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं।
4 - चौकी के ऊपर बिछे हुए लाल कपड़े पर चावल से अष्टदल बनाएं। अर्थात आठ पंखुड़ियों वाली कमल की आकृति बनाएं।
5 - अष्टदल कमल के ऊपर शुद्ध ताजे जल से भरे हुए कलश को स्थापित करें। 
6 - फिर भरे हुए कलश में थोड़ा गंगाजल मिलाएं।
7 - कलश के अंदर एक सुपारी, हल्दी की एक गांठ, सप्तमृतिका, सर्वोषधि, दूर्वा, एक सिक्का, पंचरत्न, रोली, चावल, फूल डालें। 
8 - कलश के गले पर 5 बार क्लॉकवाइज घुमाकर कलावा लपेटकर बांध दें।
9 - आम पीपल बड़ के पत्ते पांच पांच की संख्या में कलश के अंदर डालें।
10 - कांसे की एक बड़ी थाली में साबुत चावल भरकर कलश के ऊपर रखें।
11 - एक पानी वाले नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर, कलश के ऊपर रखी थाली में भरे हुए चावल के ऊपर रखें। नारियल का तने से जुड़ा हुआ भाग अपनी ओर रखें।
12 -  एक छोटी कटोरी में चावल भरकर, उसके ऊपर गणेश जी लक्ष्मी जी की सोने अथवा चांदी की प्रतिमा, ( सिक्का ) एवं कुबेर यंत्र या कुबेर प्रतिमा रखकर, कलश के ऊपर रखे गए नारियल के आगे पूर्णपात्र में ही रखें।
13 - एक बड़ा दीपक तेल भरकर लाल रंग के कलावे से लम्बी बत्ती बनाकर निर्मित करें। तेल दीपक को चौकी के सामने, अपनी बाईं ओर एक छोटी प्लेट में चावल रखकर स्थापित करें।
14 - फिर एक बड़ा दीपक घी भरकर सफेद रुई से खड़ी बत्ती बनाकर निर्मित करें। घी दीपक को चौकी के सामने, अपनी दाहिनी ओर एक छोटी प्लेट में चावल रखकर स्थापित करें।
15 - एक बड़े लोटे अथवा अन्य पात्र में पूजा स्नान के निमित्त शुद्ध जल भरकर पास में रखें।
16 - एक बड़ी थाली में फूल, मालाएं, दूर्वा, रोली चन्दन तिलक, चावल, सुपारी, धूप, कलावा एवं बनाए हुए पंचामृत की कटोरी, आचमन पात्र सजाकर अच्छे से रखें।
17 - स्नान हेतु रखी गयी कांसे की थाली में रोली या चन्दन से अष्टदल कमल बनाकर रखें।
18 - दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर को पंचामृत बनाने के साथ साथ, एक थाली में अलग अलग भी रखें।

तैयारी पूर्ण होने पर पूजन प्रारम्भ करें - 
1 - सर्वप्रथम अपने ऊपर, पूजन सामग्री पर एवं अन्य सभी उपस्थित सज्जनों पर लोटे में रखे गए जल को फूल से छिड़कें।
2 - आचमन पात्र से एक बार हाथ धोकर तीन बार दाहिनी हथेली पर जल रखकर पिएं। फिर से हाथ धो लें।
3 - एक बार फिर से सभी के ऊपर जल छिड़कें।
4 - सभी को तिलक लगाएं।
5 - हाथ धोकर घी और तेल के दोनों दीपक जलाएं। फिर से हाथ धो लें।
6 - हाथ में फूल लेकर गणेश जी लक्ष्मी जी कुबेर जी का ध्यान करें, एवं पुष्प अर्पित करें।
7 - पृथ्वी माता को प्रणाम कर पुष्प चढाएं।
8 - बाएं हाथ में चावल रखकर दाहिने हाथ से पूर्व दक्षिण पश्चिम उत्तर क्रम से थोड़े थोड़े चावल चारों दिशाओं में छिड़कें। फिर हाथ धो लें।
9 - भूमि पर पुष्प चावल रखकर, उसके ऊपर जलपात्र अर्थात लोटा रखें। गंगाजल डालें। गंगा आदि पवित्र नदियों, तीर्थों का स्मरण जल में करते हुए रोली फूल और चावल लोटे के अंदर जल में छोड़ें। फिर उस जल को सभी के ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़कें।
10 - भगवान सूर्य को प्रणाम कर, जलते हुए दोनों दीपकों पर रोली चावल से तिलक कर फूल चढाएं।
11 - घण्टी शंख को भी तिलक कर घण्टा शंख ध्वनि करें।
12 - हाथ में फूल चावल लेकर, गणेश जी, लक्ष्मी नारायण, उमा महेश्वर, ब्रह्मा ब्रह्माणी, इंद्र इन्द्राणी, माता पिता, गुरुदेव, इष्टदेव, कुलदेवता, कुलदेवी, ग्रामदेवता, स्थान देवता, वास्तु देवता, तीर्थों, ऋषियों, ब्राह्मणों, धर्मग्रंथों को प्रणाम करते हुए चौकी पर रखे हुए कलश के ऊपर छोड़े।
13 - हाथ में जल, चावल, फूल, दूर्वा, सुपारी, दक्षिणा लेकर अपनी मनोकामना का स्मरण करते हुए अपना नाम गोत्र उच्चारण कर, संकल्प गणेश जी को चढाएं।
14 - हाथ में फूल लेकर लक्ष्मी जी गणेश जी कुबेर जी के साथ साथ चौकी पर रखे हुए कलश में वरुण देव का ध्यान करते हुए, फूल अर्पित करें। तथा बाएं हाथ में चावल लेकर, दाहिने हाथ से थोड़े थोड़े चावल कलश के ऊपर छोड़ते हुए अष्ट लक्ष्मी का आवाहन यह कहते हुए करें। 
ॐ आदिलक्ष्म्यै नमः, धनलक्ष्म्यै नमः, धान्यलक्ष्म्यै नमः, गजलक्ष्म्यै नमः, संतान लक्ष्म्यै नमः, वीरलक्ष्म्यै नमः, विजयलक्ष्म्यै नमः, विद्यालक्ष्म्यै नमः । साथ ही भगवान विष्णु जी का भी ध्यान करें।
15 - दोनों हाथों से चावल उठाकर कलश के ऊपर रखी हुई लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा पर प्रतिष्ठा हेतु छिड़कें। 
16 - एक कांसे की थाली में रोली चन्दन से बनाए हुए अष्टदल के ऊपर फूल चावल रखकर, सोने अथवा चांदी के सिक्के पर बने हुए लक्ष्मी गणेश जी को स्थापित करें। 
17 - पांच बार एक एक आचमनी जल चढाएं।
18 - फिर क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से स्नान करवाएं। प्रत्येक वस्तु के बाद शुद्ध जल आचमनी से अवश्य चढाएं।
19 - पूर्व में पांचों वस्तुओं को मिलाकर बनाए गए पंचामृत से भी स्नान करवाकर, फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं।
20 - अब दूध से अभिषेक करें। साथ में इक्कीस इक्यावन या एक सौ आठ बार गणेश जी और लक्ष्मी जी के किसी भी मंत्र का उच्चारण करते हुए घण्टी भी बजाते जाएं।
21 - शुद्ध जल से स्नान करवाकर, शुद्ध वस्त्र से पोंछने के बाद पुनः कलश के ऊपर पूर्णपात्र में स्थापित करें।
22 - माता लक्ष्मी जी के निमित्त लाल साड़ी चुनरी, एवं गणेश जी के लिए सफेद धोती अर्पित करें। फिर एक आचमनी जल चढाएं
23 - चन्दन एवं रोली से तिलक कर, चावल चढाएं।
24 - फूल चढाकर, लक्ष्मी जी को कमलगट्टे, कमल फूल या गुलाब की माला, और गणेश जी के निमित्त गेंदे के फूलों की माला कलश के ऊपर चढाएं।
25 - गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।
26 - हल्दी चढाएं।
27 - धूप दीप दिखाकर फिर हाथ धो लें।
28 - फल मिष्टान्न का भोग लगाकर आचमनी से जल चढ़ाएं।
29 - पान के पत्ते पर, लौंग, इलाइची, सुपारी रखकर अर्पित करें।
30 - व्यापारी वर्ग अपने बहीखातों एवं गल्ले का भी पूजन करें।
31 - सभी मिलकर आरती करें। आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित कर, क्षमा याचना करें। जयकारे लगाएं। आरती ग्रहण करें। माथा टेककर प्रणाम करें।
32 - घर के सभी द्वारों पर अथवा मुख्य द्वार पर स्वस्तिक निर्माण कर, दीप प्रज्वलित करें। 
33 - तुलसी जी, पितरों के निमित्त, एवं देवालयों में दीपक जलाकर, फिर प्रसाद वितरित कर सभी को प्रणाम करते हुए, बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर, छोटों को स्नेह से गले मिलते हुए दीपावली की शुभकामनाएं प्रदान करें।



लक्ष्मी पूजन हेतु मन्त्र - ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्म्यै नमः।
गणेश पूजन हेतु मन्त्र - ॐ गं गणपतये नमः। 


Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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