वैदिक ज्योतिष शास्त्र व धर्म ग्रंथों के अनुसार हर व्यक्ति, अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए कर्मों के फलस्वरूप किसी न किसी रोग से ग्रसित रहता है और उसी के प्रभाव से अपने सभी प्राप्त भौतिक सुखों का उपभोग भी नहीं कर पाता है। अपने स्वास्थ्य को लेकर इस कोरोना काल में प्रत्येक व्यक्ति आज बेहद गंभीर है। अतः वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मन का कारक कहे जाने वाले ग्रह चंद्रमा के अशुभ प्रभाव के योग से होने वाली छोटी या बड़ी से बड़ी बीमारियों के बारे में आज विस्तार से चर्चा करेंगे।
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मानव जीवन में ज्योतिष शास्त्र का बहुत बड़ा महत्व है इस भौतिक संसार में हर व्यक्ति चाहता है की जीवन में हर प्रकार से मेरा समय खुशियों से भरा रहे और मैं सुखी जीवन यापन करता रहूँ, किन्तु जन्मकुंडली में उपस्थित अशुभ ग्रहों की चाल ऐसा सुख निरन्तर कहां रहने देती है। ग्रहों का गोचर कहीं न कहीं अपना शुभ अशुभ प्रभाव जातक के उपर पड़ता रहता है और ग्रहों की अशुभ स्थिति जातक को अनेक बीमारियों से ग्रसित भी कर देती है।
वैसे तो अनियमित दिनचर्या, या जीवनशैली, खानपान आदि, बीमार होने के कई कारण होते हैं। किन्तु यदि यह लंबे समय तक ठीक नहीं है, तो यकीन मानिये इसका परिणाम जल्दी ही किसी गंभीर या फिर लाईलाज बीमारी ही होगा। फिर कई बार न तो बीमारी डॉक्टरों के समझ आती है और न ही व्यक्ति खुद समझ पाता कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है। व्यक्ति लाखों रुपये अपने इलाज पर खर्च कर देता है। फिर भी कुछ समझ में नहीं आ पाता। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बीमारी का एक मुख्य कारण होता है आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति और ग्रहों की महादशा और अंतरदशा ।
चंद्र ग्रह कि अशुभता के कारण ह्रदय एवं फेफड़े सम्बन्धी रोग, बाएं नेत्र में विकार, अनिद्रा, अस्थमा, डायरिया, रक्ताल्पता, रक्तविकार, जल की अधिकता या फिर कमी से संबंधित रोग, उल्टी, किडनी से संबंधित रोग, मधुमेह, अपेन्डिक्स, कफ रोग, मूत्रविकार, मुख सम्बन्धी रोग, नासिका संबंधी रोग, पीलिया, मानसिक रोग इत्यादि अनेक रोग होते हैं। किसी भी रोग से मुक्ति रोगकारक ग्रह की दशा-अर्न्तदशा की समाप्ति के बाद ही प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त यदि कुंडली में लग्नेश की दशा-अर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, योगकारक ग्रह की दशा अर्न्तदशा-प्रत्यर्न्तदशा प्रारम्भ हो जाए, तो रोग से छुटकारा प्राप्त होने की स्थिति बनती हैं।
चंद्रमा के साथ शनि यदि रोग का कारक बनता हो, तो इतनी आसानी से मुक्ति नही मिलती है,क्योंकि शनि किसी भी रोग से जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रखता है और चंद्र राहु के साथ जब किसी रोग का जनक होता है, तो बहुत समय तक उस रोग की जांच नहीं हो पाती है। डॉक्टर यह समझ ही नहीं पाता है कि जातक को बीमारी क्या है और ऐसे में रोग अपेक्षाकृत अधिक अवधि तक चलता है।
इन कारणों से होता है चन्द्र खराब
- घर का वायव्य कोण दूषित होने पर चन्द्र खराब हो जाता है।
- घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है, तो भी चन्द्र मंदा फल देता है।
- पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।
- माता का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।
- शरीर में जल यदि दूषित हो गया है, तो भी चन्द्र का अशुभ प्रभाव पड़ने लगता है।
- गृह कलह करने और पारिवारिक सदस्य को धोखा देने से भी चन्द्र मंदा फल देता है।
- राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र खराब फल देने लगता है।
बलहीन चंद्रमा के प्रभाव
कुंडली में चंद्रमा के बलहीन होने पर अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर दूषित होने पर जातक की मानसिक शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा उसे मिलने वाली सुख-सुविधाओं में भी कमी आ जाती है। चंद्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होकर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष और अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण भी चंद्रमा बलहीन हो जाते हैं। किसी कुंडली में अशुभ राहु तथा केतु का प्रबल प्रभाव चंद्रमा को बुरी तरह से दूषित कर सकता है तथा कुंडली धारक को मानसिक रोगों से पीड़ित भी कर सकता है।
चंद्रमा पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव जातक को अनिद्रा तथा बेचैनी जैसी समस्याओं से भी पीड़ित कर सकता है, जिसके कारण जातक को नींद आने में बहुत कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त चंद्रमा की बलहीनता अथवा चंद्रमा पर अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण विभिन्न प्रकार के जातकों को उनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा के अधिकार में आने वाले क्षेत्रों से संबंधित समस्याएं आ सकती हैं।
चन्द्र ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
जन्मकुडंली में चन्द्र अशुभ हो तो मन-मस्तिष्क पर असर पड़ता है, लेकिन आप इस परिस्थिति से खुद को बचाने के लिए नीचे बताये उपाय कर सकते हैं।
- चन्द्र ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
- चन्द्र ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए, जहाँ पर चंद्रमा की रोशनी आती हो।
- चन्द्र ग्रह के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए जातक को चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करना चाहिए।
- चन्द्र ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।
- चन्द्र ग्रह के कष्टों को दूर करने के लिए जातक को पारद शिवलिंग की स्थापना करके उनकी नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए।
- हरे रंग से दूर रहें और बच्चों की सलामती के लिए नदी में सिक्का डालें। पानी या दूध पीने के लिए हमेशा चाँदी के बर्तन का प्रयोग करें।
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