गुरुवार, 20 अगस्त 2020

तनाव के ज्योतिषीय कारण एवं उपाय

नमस्कार।

वैदिक एस्ट्रो केयर में आपका हार्दिक अभिनंदन है।

वर्तमान समय में जब भारत सहित सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तो सभी के मस्तिष्क में देश समाज के साथ साथ स्वयं के भविष्य को लेकर अनेक प्रकार के विचार उत्पन्न हो रहे हैं। 
जो शारिरिक आर्थिक एवं मानसिक रूप से समृद्ध हैं, वह तो इस महामारी से बच निकलने हेतु निरन्तर चिंतन कर रहे हैं, किन्तु देश दुनियां में उन लोगों की अधिकता अधिक है, जो आज अपनी आजीविका, और अपनों के स्वास्थ्य को लेकर सतत चिंतित हैं। इस परिवेश में चिंतित होना व्यावहारिक भी है, किन्तु चिन्ताओं को स्वयं पर हावी होने देना किसी भी दृष्टि से अच्छा नहीं है। क्योंकि 

चिता चिंता समाप्रोक्ता बिंदुमात्रं विशेषता। सजीवं दहते चिंता निर्जीवं दहते चिता॥

अर्थात, चिता और चिंता समान कही गयी हैं पर उसमें भी चिंता में एक बिंदु की विशेषता है; चिता तो मरे हुए को ही जलाती है पर चिंता जीवित व्यक्ति को ही भस्म कर डालती है॥ समाज में ऐसे अनेक उदाहरण बार बार प्रस्तुत होते रहते हैं, जब मानसिक तनाव में घिरकर, व्यक्ति स्वयं का जीवन ही समाप्त कर देता है। बहुत से लोगों को हमने यह भी कहते सुना है कि यदि उनका परिवार न होता तो उन्हें फिर किसी भी बात की चिंता भी नहीं होती। किन्तु 

पुण्यपापद्वयेचिंता दुःख मामुष्मिकं भवेत्।

अर्थात, परिवार रहित जीवन में भी पाप पुण्य की चिंता बनी रहती है। यह जो पाप पुण्य की चिंता है, की हमने यह किया तो पाप होगा, वह किया तो पुण्य होगा, इसी चिंता में वह भी सदा चिंतित रहते हैं, जो चिंताओं का त्याग कर एकांत जीवी हो गए हैं।

चिंता और चिता को यूँ समझ लीजिए की यह दोनों ही जुड़वा बहनें हैं। एक बिंदी लगाती है, एक नहीं लगाती। किन्तु जलाती दोनों ही हैं। बस फर्क इतना है कि एक जीवित को धीरे धीरे से जलाती है, और एक मरे हुए को शीघ्रता से। कई बार चिंताएं वास्तविक होती हैं, किन्तु कई बार मानव मस्तिष्क स्वयं ही ग्रह चाल से ग्रसित होकर स्वयं के ही बुने हुए चिंता जाल में उलझ जाता है। अतः आज हम कुंडली में उपस्थित उन ग्रह योगों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनके कारण व्यक्ति अकारण ही चिंता ग्रस्त हो जाता है। ऐसे ग्रहों के निदान पर भी आज दृष्टि डालेंगे। जिससे हमारे प्रिय दर्शक लाभान्वित हो सकें। वीडियो को ध्यान पूर्वक पूरा अवश्य देखें, और यदि आपने अभी तक हमारा यह चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है तो कृपया शीघ्र सब्सक्राइब करें। और साथ ही वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट भी अवश्य करें, ताकि नए वीडियो की जानकारी आप तक सहज ही पँहुच सके। 

मानसिक तनाव के ज्योतिषीय कारणों की बात करें तो ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रह को मनुष्य की मानसिक चेतना का कारक कहा जाता है। कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर होता है तो जातक को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान व्यक्ति अवसादग्रस्त रहता है। मानसिक तनाव अथवा अवसाद वह स्थिति है, जब व्यक्ति बेशक दिखने में भला महसूस हो लेकिन अंदरूनी तौर पर वह काफी गंभीर स्थिति से जूझ रहा होता है। 

  • काल पुरुष की कुंडली में चतुर्थ भाव कर्क राशि का होता है और यह भाव जीवन के सुखों को परिभाषित करता है। इसके अतिरिक्त, यह मन की स्थिति को भी बताता है इसके साथ ही कुंडली में पंचम भाव भी एक महत्वपूर्ण भाव है क्योंकि यह हमारी बुद्धि का भाव भी है। 
  • कुंडली में चंद्रमा मन का कारक है और शनि उदासीनता का कारक है, इसलिए जब भी कुंडली में चंद्रमा शनि के साथ स्थित हो या शनि की दृष्टि चंद्रमा पर हो तो चंद्रमा पीड़ित हो जाता है। अगर यह स्थिति चतुर्थ भाव को प्रभावित करती है तो  स्थिति और भी अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि ऐसे में व्यक्ति अकेलापन महसूस करता है और उसके अंदर उदासीनता की प्रवृत्ति जन्म लेती है। यही वजह होती है कि उसे मानसिक तनाव और अवसाद जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है।
  • केवल शनि ही नहीं बल्कि राहु भी बहुत हद तक इस स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यदि चंद्रमा के साथ राहु की स्थिति हो तो भी ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ता है। 
  • चंद्रमा जहां हमारे मन का कारक है, वहीं बुध हमारी बुद्धि और चेतना को बताता है। ऐसे में चंद्रमा और बुध दोनों का पीड़ित होना मानसिक तौर पर कुंठा को जन्म देने वाला होता है। 
  • यदि चंद्रमा पर राहु का असर होता है तो मति भ्रम पैदा करता है और ऐसे में यदि बुध भी इनके साथ मिल जाए तो यह स्थिति काफी गंभीर हो जाती है और व्यक्ति पागलपन की हद तक परेशान हो सकता है। 
  • इस प्रकार यदि कुंडली के चतुर्थ भाव, पंचम भाव, इन दोनों भावों के स्वामी, चंद्रमा और बुध यदि राहु अथवा शनि से बुरी तरह पीड़ित हैं अथवा  इन ग्रहों की स्थिति कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में पाप ग्रहों के मध्य हो तो व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार होता है। 
  • यदि कुंडली के छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में चंद्रमा के साथ मंगल की स्थिति हो तो यह मानसिक उन्माद देता है। 
  • यदि कुंडली के अष्टम भाव में चंद्रमा के साथ राहु स्थित हो और उस पर शनि का प्रभाव भी हो तो व्यक्ति अनजाने भय से पीड़ित होकर मानसिक तनाव से घिर जाता है। 
  • यदि चंद्रमा का संबंध अशुभ ग्रहों के साथ जल तत्व की राशियों जैसे कि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन में हो तो ऐसे व्यक्ति भावनात्मक रूप से काफी कमजोर हो सकते हैं और यही वजह है, जो उनमें मानसिक तनाव को जन्म देती है।

आइये अब मानसिक तनाव चिंताओं से बचने या इसे दूर करने के लिए कुछ आसान उपायों पर दृष्टि डालते हैं। जिनका प्रयोग कर आप सहज ही अपने तनाव को कम कर सकते हैं। मानसिक तनाव को दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है योग और व्यायाम।तनाव दूर करने के लिए फिजिकल एक्सरसाइज़ सबसे ज़्यादा कारगर है। नियमित योग और व्यायाम करने से व्यक्ति का शरीर और मन स्वस्थ्य रहता है। इससे हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और फील गुड कराने वाले हार्मोन बनते हैं। मानसिक तनाव को कम करने का यह बहुत ही बढ़िया और आसान उपाय है। इसके साथ ही दूसरा श्रेष्ठ उपाय है ध्यान क्रिया।

ध्यान क्रिया करने से मानसिक चेतना जागृत होती है और मन को शांति मिलती है। मनोविज्ञान के अनुसार ध्यान करना शरीर और मन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे मनुष्य की एकाग्र शक्ति बढ़ती है। अपने हाथ के अंगूठे  के पोर को तर्जनी अंगुली से मिलाते हुए ज्ञान मुद्रा का अभ्यास करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके साथ ही यदि तनाव जैसी गंभीर समस्या से बचना चाहते हैं तो अपनी दिनचर्या को नियमित बनाएँ और इसका कठोरता से पालन भी करें। नियमित दिनचर्या का तात्पर्य यहाँ समय से खाने-पीने और समय पर सोने-जगने से है। इसके अतिरिक्त आप डेली रुटीन में उन चीज़ों को भी जोड़ें जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करती हो। यदि आप ऐसा कर पाने में सफल होते हैं तो निश्चित ही आप टेंशन मुक्त हो जाएंगे। अब बात करते हैं आहार की। भोजन से हमारे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। जबकि आहार की प्रकृति हमारी प्रवृति और मनोदशा को प्रभावित करती है। इसलिए मन को दुरुस्त बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार लें। यह टेंशन भगाने का अचूक उपाय है। लेकिन वर्तमान समय में लोग जंक फूड, फास्ट फूड और अन्य प्रकार के पाश्चात्य खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन कर रहे हैं जिसके प्रतिकूल परिणाम हम लगातार देख सकते हैं। साथ ही जो अति महत्वपूर्ण है वह है पर्याप्त नींद। पर्याप्त नींद मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखती है। एक अध्ययन के अनुसार एक दिन में हर व्यक्ति को 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है और मानसिक तनाव उसके ऊपर हावी नहीं हो पाता है। विशेष रूप से ध्यान रखें कि सकारात्मक सोच के साथ आप बड़ी से बड़ी समस्या को आसानी से हल कर सकते हैं। परंतु यदि सोच नकारात्मक हो तो फिर राह मुश्किल हो जाती है। तनाव के समय व्यक्ति की पॉजीटिव थिंकिंग ही उसे ग़लत रास्ते से बचाती है। अतः समाज में सभी के साथ घुल-मिलकर रहें और अपने सगे-संबंधियों से रिश्ते मधुर बनाए रखें। अपनों से मिलने वाली ख़ुशियों का कोई मोल नहीं होता है। इसलिए अपने घर-परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से संवाद जारी रखें। कई बार देखने को मिलता है कि लोग तनाव से बचने के लिए अक्सर नशे के आदि हो जाते हैं जो बिलकुल भी उचित नहीं है। नशा हमारे शरीर और मन पर बहुत बुरा असर डालता है जिससे तनाव कम होने के बजाय और भी बढ़ जाता है इसलिए शराब, सिगरेट, ड्रग्स आदि से जितना दूर रहें, उतना आपके लिए अच्छा है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि मनोरंजन से तनाव को कम किया जा सकता है। इसलिए यदि आप चिंतित हों तो टेंशन फ्री होने के लिए मनोरंजन का सहारा अवश्य लें। 

अब बात करते हैं उन ज्योतिषीय उपायों की, जिनके प्रयोग से आप शीघ्र ही मानसिक तनाओं से मुक्ति पा सकते हैं। 

कुंडली में चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए आपको अपनी माता का सम्मान करना चाहिए और अपने शरीर पर चाँदी धारण करनी चाहिए। यदि आप अपने खाने पीने के लिए चाँदी के बर्तनों का इस्तेमाल करें तो अति उत्तम रहेगा। बुध ग्रह की मजबूती के लिए गौमाता को हरा पालक और चारा खिलाएं अथवा बुधवार के दिन साबुत मूंग खिलाएं। बुधवार के दिन छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें तथा किन्नरों को कोई वस्तु भेंट करें। यदि कुंडली में चंद्रमा शनि से पीड़ित है तो शनि के लिए दान करें, जिसमें शनिवार के दिन छाया दान करना अति उत्तम है और चींटियों को आटा डालें। यदि यह रोग उत्पन्न करने में राहु भूमिका निभा रहा है तो बुधवार को संध्या काल में काले तिलों का दान करें और काले कुत्ते को रोटी खिलाएं तथा भैरव चालीसा का पाठ करें। यदि मानसिक तनाव का कारण मंगल है तो मंगलवार के दिन रक्तदान करें अथवा किसी पार्क या मंदिर में अनार का पेड़ लगाएँ। अपनी कुंडली के चतुर्थ और पंचम भाव के स्वामी की स्थिति को मजबूत करें।वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है, नमस्कार।




Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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