कई बार ना चाहते हुए भी परिस्थितिवश व्यक्ति को इस कर्ज़ रुपी बोझ का सामना करना पड़ता है। वैसे तो आज के समय में अपने कार्यो की पूर्ति के लिए अधिकांश लोग कर्ज लेते हैं, परन्तु जब कर्ज़ की यह स्थिति जीवन पर्यन्त बनी रहे या बार-बार सामने आये तो वास्तव में यह भी हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोगों के कारण ही होता है।
जन्म कुंडली में ‘छठा भाव’ कर्ज का भाव माना गया है। अर्थात कुंडली का छठा भाव ही व्यक्ति के जीवन में कर्ज की स्थिति को नियंत्रित करता है। जब कुंडली के छठे भाव में कोई पाप योग बना हो या षष्ठेश ग्रह बहुत पीड़ित हो तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जैसे –
यदि छठे भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में बैठा हो, छठे भाव में राहु–चन्द्रमा या राहु–सूर्य के साथ होने से ग्रहण योग बन रहा हो, छठे भाव में राहु-मंगल का योग हो, छठे भाव में गुरु–चाण्डाल योग बना हो, शनि–मंगल या केतु–मंगल की युति छठे भाव में हो। तो ऐसे पाप या क्रूर योग जब कुंडली के छठे भाव में बनते हैं तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या बहुत परेशान करती है और कर्ज को देने में बहुत समस्यायें आती हैं।
छठे भाव का स्वामी ग्रह भी जब नीच राशि में हो, अष्टम भाव में हो या बहुत पीड़ित हो तो कर्ज की समस्या होती है। इसके आलावा “मंगल” को कर्ज का नैसर्गिक नियंत्रक ग्रह माना गया है। अतः यहाँ मंगल की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि कुंडली में मंगल अपनी नीच राशि (कर्क) में हो, आठवें भाव में बैठा हो, या अन्य प्रकार से अति पीड़ित हो तो भी कर्ज की समस्या बड़ा रूप ले लेती है।
यदि छठे भाव में बने पाप योग पर बलि बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो कर्ज को बहुत संघर्ष के बाद चुकाया जा सकता है। या व्यक्ति को कर्ज की समस्या का समाधान मिल जाता है। परन्तु बृहस्पति की शुभ दृष्टि के अभाव में यह समस्या बनी रहती है। छठे भाव में पाप योग जितने अधिक होंगे उतनी समस्या अधिक होगी अतः कुंडली का छठा भाव पीड़ित होने पर लोन आदि लेने में भी बहुत सतर्कता बरतनी चाहिये।
बहुत बार व्यक्ति की कुंडली अच्छी होने पर भी व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसका कारण उस समय कुंडली में चल रही अकारक ग्रहों की दशाएं या गोचर ग्रहों का प्रभाव होता है, जिससे अस्थाई रूप से व्यक्ति उस विशेष समय काल के लिए कर्ज के बोझ से घिर जाता है। उदाहरणार्थ, अकारक षष्ठेश और द्वादश की दशा व्यक्ति के जीवन में कर्ज की समस्या देती है। अतः कर्ज की समस्या से निदान पाने के लिए कुछ ज्योतिषीय समाधान अवश्य ही अपना लेने चाहिए।
मंगल यन्त्र को घर के मंदिर में लाल वस्त्र पर मंगलवार के दिन स्थापित करें और प्रतिदिन ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:। इस मंत्र का एक माला जाप करें –
यदि आप कर्ज से परेशान हैं या बार-बार कर्ज मांगना पड़ता है, तो बुधवार के दिन सवा किलो साबुत हरी मूंग उबालकर, उसमें गुड़ और घी मिलाएं। इसके बाद किसी गाय को खिलाएं। यह प्रक्रिया प्रत्येक बुधवार को करें। इस उपाय से कर्ज से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है। साथ ही प्रतिदिन ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।यह भी कर्ज की समस्या से मुक्ति देता है।
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वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है। नमस्कार
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