शनिवार, 12 सितंबर 2020

कर्ज के ज्योतिषीय कारण, एवं निवृत्ति के उपाय

नमस्कार। वैदिक एस्ट्रो केयर में आपका हार्दिक अभिनंदन है। सनातन धर्म संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने प्रारब्ध चक्र से बंधा रहता है। व्यक्ति जिस प्रकार के कर्म करता है उन्ही कर्मों के फलस्वरूप उसका भाग्य निर्माण होता है। और उन्ही संचित कर्मों का शुभ फल जहां हमें सौभाग्य के रूप में प्राप्त होता है, वहीं हमारे द्वारा पूर्व में किए गए अशुभ अनैतिक कार्यों का फल दुर्भाग्य के रूप में प्रकट होता है। 
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जन्मसमय जन्मतिथि जन्मस्थान की सही जानकारी के साथ निर्मित जन्म कुंडली, हमारे इसी प्रारब्ध को प्रकट करती है। साथ ही हमारे जीवन में घटने वाली सभी घटनाएं, मेष से मीन पर्यंत बारह राशियों में गोचर करने वाले सूर्यादि नवग्रह द्वारा ही संचालित होती हैं। इन्ही नवग्रहों के द्वारा जन्मकुंडली में अनेक शुभ अशुभ योगों का निर्माण होता है, जिनसे व्यक्ति का जीवन विशेष प्रभावित होता है।
दैहिक दैविक भौतिक सुखों की प्राप्ति इन्ही योगों के माध्यम से किसी जातक को यदि सहज रूप में ही प्राप्त हो जाती है तो किसी जातक की जन्मकुंडली में ग्रह दोष की उपस्थिति के कारण जीवन के हर क्षेत्र में अभाव ही बना रहता है। और फिर ग्रहों के चक्रव्यूह में फंसकर व्यक्ति आवश्यकताओं की पूर्ति या सुखों की कामना से सरकारी या फिर व्यक्तिगत रूप से ऋण अर्थात कर्ज लेने लगता है। आज हम इसी विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे। अतः आप बने रहें वीडियो के अंत तक हमारे साथ, एवं वैदिक एस्ट्रो केयर चैनल को सब्सक्राइब कर नए नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबाकर ऑल सेलेक्ट अवश्य करें।
आज के समय में जहाँ आर्थिक असंतुलन, चिंता का एक मुख्य कारण है, वहीं एक दूसरी स्थिति जिसके कारण अधिकांश लोग चिंतित और परेशान रहते हैं वह है ‘कर्ज़’। धन का कर्ज़ चाहे किसी से व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो या सरकारी लोन के रूप में, ये दोनों ही स्थितियाँ व्यक्ति के ऊपर एक बोझ के समान बनी रहती हैं।

कई बार ना चाहते हुए भी परिस्थितिवश व्यक्ति को इस कर्ज़ रुपी बोझ का सामना करना पड़ता है। वैसे तो आज के समय में अपने कार्यो की पूर्ति के लिए अधिकांश लोग कर्ज लेते हैं, परन्तु जब कर्ज़ की यह स्थिति जीवन पर्यन्त बनी रहे या बार-बार सामने आये तो वास्तव में यह भी हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोगों के कारण ही होता है।

जन्म कुंडली में ‘छठा भाव’ कर्ज का भाव माना गया है। अर्थात कुंडली का छठा भाव ही व्यक्ति के जीवन में कर्ज की स्थिति को नियंत्रित करता है। जब कुंडली के छठे भाव में कोई पाप योग बना हो या षष्ठेश ग्रह बहुत पीड़ित हो तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जैसे –

यदि छठे भाव में कोई पाप ग्रह नीच राशि में बैठा हो, छठे भाव में राहु–चन्द्रमा या राहु–सूर्य के साथ होने से ग्रहण योग बन रहा हो, छठे भाव में राहु-मंगल का योग हो, छठे भाव में गुरु–चाण्डाल योग बना हो, शनि–मंगल या केतु–मंगल की युति छठे भाव में हो। तो ऐसे पाप या क्रूर योग जब कुंडली के छठे भाव में बनते हैं तो व्यक्ति को कर्ज की समस्या बहुत परेशान करती है और कर्ज को देने में बहुत समस्यायें आती हैं।

छठे भाव का स्वामी ग्रह भी जब नीच राशि में हो, अष्टम भाव में हो या बहुत पीड़ित हो तो कर्ज की समस्या होती है। इसके आलावा “मंगल” को कर्ज का नैसर्गिक नियंत्रक ग्रह माना गया है। अतः यहाँ मंगल की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि कुंडली में मंगल अपनी नीच राशि (कर्क) में हो, आठवें भाव में बैठा हो, या अन्य प्रकार से अति पीड़ित हो तो भी कर्ज की समस्या बड़ा रूप ले लेती है।

यदि छठे भाव में बने पाप योग पर बलि बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो कर्ज को बहुत संघर्ष के बाद चुकाया जा सकता है। या व्यक्ति को कर्ज की समस्या का समाधान मिल जाता है। परन्तु बृहस्पति की शुभ दृष्टि के अभाव में  यह समस्या बनी रहती है। छठे भाव में पाप योग जितने अधिक होंगे उतनी समस्या अधिक होगी अतः कुंडली का छठा भाव पीड़ित होने पर लोन आदि लेने में भी बहुत सतर्कता बरतनी चाहिये। 

बहुत बार व्यक्ति की कुंडली अच्छी होने पर भी व्यक्ति को कर्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिसका कारण उस समय कुंडली में चल रही अकारक ग्रहों की दशाएं या गोचर ग्रहों का प्रभाव होता है, जिससे अस्थाई रूप से व्यक्ति उस विशेष समय काल के लिए कर्ज के बोझ से घिर जाता है। उदाहरणार्थ, अकारक षष्ठेश और द्वादश की दशा व्यक्ति के जीवन में कर्ज की समस्या देती है। अतः कर्ज की समस्या से निदान पाने के लिए कुछ ज्योतिषीय समाधान अवश्य ही अपना लेने चाहिए।

मंगल यन्त्र को घर के मंदिर में लाल वस्त्र पर मंगलवार के दिन स्थापित करें और प्रतिदिन ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:। इस मंत्र का एक माला जाप करें – 

यदि आप कर्ज से परेशान हैं या बार-बार कर्ज मांगना पड़ता है, तो बुधवार के दिन सवा किलो साबुत हरी मूंग उबालकर, उसमें गुड़ और घी मिलाएं। इसके बाद किसी गाय को खिलाएं। यह प्रक्रिया प्रत्येक बुधवार को करें। इस उपाय से कर्ज से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है। साथ ही प्रतिदिन ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।यह भी कर्ज की समस्या से मुक्ति देता है।

यदि आपका धन किसी अन्य के पास फंस गया हो और वह उसे वापस करने में आनाकानी करे, तो आप वैदिक उपायों हेतु हमसे संपर्क कर सकते हैं। 

वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है। नमस्कार


Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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