बुधवार, 28 अप्रैल 2021

हनुमान जी विवाहित हैं या अखण्ड ब्रह्मचारी

 
नमस्कार, आध्यात्म संस्कृति में आपका हार्दिक अभिनंदन है। तुलसीदास जी के अनुसार, रामायण शतकोटि अपारा, अर्थात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी के चरित्रों का सांगोपांग वर्णन करने वाले ग्रन्थ रामायण की संख्या सौ करोड़ से अधिक है। अब इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि जिस शब्द, जिस वाक्य में भगवान राम के गुणों का वर्णन हो वही रामायण है। राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम ततुल्यम राम नाम वरानने। यह बात स्वयं भगवान शिव स्वीकार करते हैं कि भगवान राम के किसी भी एक नाम का उच्चारण, सहस्त्र नाम पाठ के समान है, और इसी अर्थ में किंचित यह कहा गया होगा कि रामायण शतकोटि अपारा। हम सब अधिक से अधिक रामायण के दो चार संस्करणों से ही परिचित हैं। जिसमें भी मुख्य रूप से वाल्मीकि रामायण या रामचरित मानस के साथ किसी एक अन्य रामायण का नाम ही हम लोगों ने सुना होगा।
किन्तु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग 100 से अधिक रामायण तो अब तक ज्ञात हैं। और अज्ञात कितने कहा नहीं जा सकता। सभी रामायणों में रामायण की मुख्य कथा, या पात्रों से जुड़े कुछ न कुछ साक्ष्य समान रूप से मिलते हैं। और बहुत सी रामायणों में कथाओं में भेद भी है, यानी आप किसी भी प्रसंग को केवल यह कहकर नहीं ठुकरा सकते कि आपने नहीं सुना या फिर आपकी वाली पंसदीदा रामायण में तो कथा इस प्रकार नहीं है। रामायण के एक प्रमुख पात्र हैं भक्तराज हनुमानजी। जिनके विवाह के विषय में आमजनमानस में अनेक भ्रांतियां सदा से ही हैं। यह प्रश्न सभी के मन में उठता है कि हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी हैं या विवाहित। और यदि विवाहित हैं तो उन्हें ब्रह्मचारी क्यों कहा जाता है?  आज इन सभी विषयों पर हम यहां शास्त्र सम्मत चर्चा करेंगे। आप बनें रहें वीडियो के अंत तक हमारे साथ, एवं आध्यात्मिक यात्रा पर साथ चलने हेतु इस आध्यात्मिक संस्कृति यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर इस परिवार के सदस्य बनें। 
आज आपको है हनुमानजी के विवाहित होने की एक कथा के बारे में बताते हैं जो दक्षिण भारत के प्रचलित रामायण और पराशर संहिता में प्रमुखता से आती है।
हनुमान जी सदा से ही ब्रह्मचारी हैं। पाराशर संहिता जैसे कुछ शास्त्रों में हनुमान जी के विवाह होने का वर्णन भी मिलता है। लेकिन हनुमान जी ने यह विवाह किसी वैवाहिक सुख प्राप्त करने की इच्छा से नहीं किया था। अपितु उन चार प्रमुख विद्याओं की प्राप्ति हेतु किया था। जिन विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित व्यक्ति को ही दिया जा सकता था।
इस कथा के अनुसार हनुमान जी ने अपने गुरु सूर्य देव की आज्ञा से गृहस्थ धर्म स्वीकार किया था। भगवान सूर्य ने अपने शिष्य हनुमान जी को जब समस्त वेद वेदांत न्याय मीमांसा योग धर्म आदि का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान किया गया तो अंत में वर्णाश्रम धर्म के ज्ञान हेतु हनुमानजी को विवाह करने की आज्ञा दी थी। 
क्योंकि कुछ विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था। हनुमान जी अपने गुरु भगवान सूर्य की आज्ञा मानकर विवाह करने के लिए तैयार हो गए। तब समस्या उत्पन्न हुई की हनुमान जी से विवाह के लिए किस कन्या का चयन किया जाए।
तब सूर्य देव ने अपनी परम तेजस्विनी पुत्री सुवर्चला से अपने शिष्य हनुमान जी का विवाह करने के लिए कहा। हनुमान जी तैयार हो गए हनुमान जी और सूर्य पुत्री सुवर्चला का विवाह हो गया । सूर्य देव की पुत्री और हनुमान जी की धर्मपत्नी देवी सुवर्चला परम तपस्वी थी। विवाह होने के बाद देवी सुवर्चला तपस्या में मग्न हो गई। और उधर हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देव से विद्याओं का ज्ञान अर्जित करने लगे। इस प्रकार श्री हनुमान जी के विवाहित होने के पश्चात भी उनका ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा। और वह सदा ब्रह्मचारी ही कहलाते हैं।
हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर हैदराबाद से 220 किलोमीटर दूर तेलंगाना के खम्मम जिले में है। यहां एक प्राचीन मंदिर में बजरंग बली अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
आध्यात्म संस्कृति परिवार आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है,  नमस्कार।

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Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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