रविवार, 27 फ़रवरी 2022

जल्दी शादी के लिए क्या करें उपाय..

आज देश में हर समाज व समुदाय बड़ी संख्या में विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह न हो पाने की समस्या से जूझ रहा है। कुछ दशक पहले तक यह समस्या इतनी बड़ी नहीं थी लेकिन आज के समय में यह एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इस समस्या के सामाजिक पक्ष के साथ-साथ ज्योतिषीय पहलू पर चर्चा करना भी अति आवश्यक है। हमारे देश में विवाह को धार्मिक संस्कार मानकर विवाह पूर्व वर वधु की कुंडली मिलान को आवश्यक माना गया है। आज के समय को देखते हुए अविवाहितों की संख्या बढऩे के ज्योतिषीय कारण व समाधान पर चर्चा परम आवश्यक है। यदि आप इस जानकारी को वीडियो के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे यूट्यूब चैनल वैदिक ऐस्ट्रो केयर में आपका स्वागत है। साथ ही वैदिक ज्योतिष शास्त्र एवं सनातन धर्म की अनेकों जानकारियां प्राप्त करने के लिए वैदिक ऐस्ट्रो केयर यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर नए वीडियो के नोटिफिकेशन की जानकारी के लिए वैल आइकन दबा कर ऑल सेलेक्ट करना ना भूले। 
यदि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के दृष्टिकोण से देखा जाए तो जन्म कुंडली में जब सप्तम भाव, सप्तमेश तथा पुरुष के लिए शुक्र और स्त्री के लिए गुरु ग्रह निर्बल अथवा पीडि़त अवस्था में हों, तथा उन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि या युति न हो तो पुरुष या स्त्री को जीवन साथी की प्राप्ति नहीं हो पाती। साथ ही यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में सप्तमेश शुभ युक्त न होकर कुंडली के 6, 8 या 12वें भाव में हो। या फिर नीच राशि, अस्तगत हो। तो जीवनसाथी मिलने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि सप्तमेश द्वादश भाव में स्थित हो व लग्नेश या चंद्र राशीश सप्तम भाव में हो। अथवा षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश सप्तम भाव में स्थित हो व सप्तमेश 6, 8,12वें भाव में स्थित हो, तो भी विवाह में अनेक बाधाएं आती हैं। इसके अतिरिक्त यदि शुक्र व चंद्रमा दोनों किसी एक भाव में स्थित हो व शनि एवं मंगल से दृष्ट हो। या लग्न, सप्तम एवं द्वादश भाव में पाप ग्रह स्थित हो व चंद्रमा पंचम भाव में निर्बल अवस्था में हो तो यह ग्रह स्थिति भी विवाह में बाधक बनती है। शुक्र व बुध ग्रह की सप्तम भाव में युति हो व पापग्रह युक्त या दृष्ट हो तो विवाह बड़े बिलम्ब से होता है। साथ ही यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में शुक्र व मंगल दोनों पंचम, सप्तम या नवम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को स्त्री सुख प्राप्त नहीं हो पाता।
पंचम, सप्तम या नवम् भाव में शुक्र व सूर्य स्थित हो, या चंद्रमा से सप्तम भाव में मंगल, शनि व शुक्र स्थित हो, या फिर शुक्र पापयुक्त हो या शुक्र से सप्तम पाप ग्रह हो तो विवाह होने में अनेकों समस्याएं आती हैं।
इसके अतिरिक्त सप्तम भाव में बुध और शुक्र की युति होने पर, विवाह प्राय: आधी उम्र के बाद होता है। 
चौथा भाव या लग्न भाव मंगल युक्त हो, और सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि विवाह में नहीं होती। सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक न हो, तो पुरुष का विवाह देरी से होता है। लग्न, सप्तम या बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योगकारक नहीं हो, कुटुम्ब भाव में चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह नहीं होता, यदि हो गया तो फिर संतान नहीं होती। राहु की दशा में विवाह हो, या राहु सप्तम भाव को पीडि़त कर रहा हो, तो विवाह होकर भी टूट जाता है, अतः विवाह सम्बन्धी बाधाओं को दूर करने के सहज वैदिक उपाय अवश्य कर लेने चाहिए। यदि किसी जातक का विवाह कुंडली में स्थित मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऐसे व्यक्ति को मंगलवार के दिन मंगल चण्डिका स्तोत्र का अनुष्ठान ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न करवाकर स्वयं भी नियमित रूप से मंगल चण्डिका स्तोत्र का पाठ प्रारम्भ करना चाहिए। मंगलचण्डिका स्तोत्र की पूर्ण जानकारी के लिए आप हमारे चैनल पर पूर्व प्रकाशित वीडियो देख सकते हैं। शनिवार व मंगलवार को सुन्दर काण्ड के सात पाठ कर्मकांडी ब्राह्मणों से करवाने चाहिए। यह ध्यान रखें कि सुंदरकांड पाठ संगीतमय किए जा सकते हैं, किन्तु पाठ खण्डित नहीं होना चाहिए, अर्थात संगीतमय सुंदरकांड पाठ के बीच में किसी भी प्रकार का भजन आदि नहीं होना चाहिए। केवल रामचरित मानस की चौपाई को सम्पुट के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार विधि पूर्वक प्रयोग से विवाह के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
यदि कन्या के विवाह में ग्रहों के आधार पर किसी भी प्रकार की बाधा आ रही हो तो 27 हजार की संख्या में देवी कात्यायनी के मन्त्र-
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। 
नन्द गोप सुतं देवी पतिं मे कुरु ते नम:।। के जप गुरुवार के दिन किसी शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों द्वारा करवाकर, फिर नियमित रूप से प्रतिदिन एक एक माला सुबह शाम स्वयं कन्या को भी करनी चाहिए। यहां ध्यान रखें कि कन्या प्रत्येक माह ऋतुकाल से निवृत्त होकर 21 दिन जप करके देवी को पीले रंग की खीर का भोग लगाएं। इस प्रकार यह प्रयोग पूरे नौ महीने तक करें। इससे अवश्य ही कन्या के विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। मुख्य रूप से कन्या की जन्म कुंडली में विवाह सुख के कारक ग्रह बृहस्पति हैं। अतः शीघ्र विवाह के लिए, या विवाह के उपरांत दाम्पत्य सुख के लिए, बृहस्पति ग्रह के मंत्र का जप, दान, व्रत, पूजादि से विशेष लाभ होता है। बृहस्पति का दिन गुरुवार है और केले का पौधा इन्हें परम् प्रिय है। बृहस्पति का रंग पीला है। अतः सामान्य रूप से भी प्रत्येक कन्या को शीघ्र विवाह एवं वैवाहिक सुख के लिए बृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र धारण कर, केले के वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
शुद्ध घी का दीपक जलाकर जल अर्पित करना चाहिए।
और यदि संभव हो तो व्रत भी रखना चाहिए। पीले रंग के चन्दन और रोली का तिलक लगाएं। नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी या पीला चन्दन डालकर स्नान करें।साथ ही किसी भी रूप में गुरुवार को साबुन का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। केले का सेवन बृहस्पतिवार को नहीं करना चाहिए।भोजन में केसर का सेवन करना उत्तम रहता है। अपने से बड़ों का सम्मान करें। वाणी से व्यवहार से किसी भी प्रकार बड़ों का अपमान ना करें। आटे में गुड़ और हल्दी मिलाकर 2 रोटियां बनाकर प्रत्येक गुरुवार को देशी गाय को अवश्य खिलाएं। 
यदि किसी पुरूष के विवाह में बिलम्ब हो रहा हो तो दुर्गा सप्तशती के मंत्र 
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीं, 
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।
का जाप किसी शुभ मुहूर्त में, ग्यारह हजार की संख्या में कर्मकांडी ब्राह्मणों के द्वारा करवाकर, स्वयं भी प्रतिदिन एक एक माला सुबह शाम जाप अवश्य करना चाहिए।
ऐसे जातक जो प्रेम विवाह करना चाहते हैं, किन्तु बाधाएं आ रही हैं तो उन्हें 
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
इस मंत्र का जाप, च्यवन हजार की संख्या में पूर्ण करवाकर अनुष्ठान संपन्न करवाना चाहिए। 
कुछ लोग प्रश्न करते हैं कि गुरुजी अधिकतर ज्योतिषी उपाय ब्राह्मणों के द्वारा करवाने के लिए ही कहते हैं, क्या हमारे द्वारा उपाय करने पर हमें उसका समुचित लाभ नहीं मिल पाएगा? तो आपको बता दें की ब्राह्मणों द्वारा मंत्र सिद्ध किया गया होता है और बिना सिद्धि के मंत्र प्रभावी नहीं होते अतः किसी भी कामना के लिए अनुष्ठान करने पर वह अनुष्ठान कर्मकांडी ब्राह्मणों द्वारा ही संपन्न करवाए जाते हैं। तभी उनका समुचित लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आप स्वयं में व्रत पूजा आदि उपाय कर सकते हैं किंतु दान बिना संकल्प के लाभकारी नहीं होता। जप या पाठ बिना अनुष्ठान के फलदाई नहीं होते। अतः कामना की पूर्ति हेतु अनुष्ठान वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा ही संपन्न करवाए जाते हैं। किसी भी प्रकार के वैदिक अनुष्ठानों हेतु आप दिए गए नंबरों के माध्यम से हम से संपर्क कर सकते हैं। वैदिक एस्ट्रो केयर आपके मंगलमय जीवन हेतु कामना करता है, नमस्कार।


Vedic Astro Care | वैदिक ज्योतिष शास्त्र

Author & Editor

आचार्य हिमांशु ढौंडियाल

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